Daughter in Law Right – कुछ सालों पहले कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि बेटी का पिता के संपत्ति में अधिकार होता है। इसे लेकर ससुराल में काफी हल्ला हो रहा था। लेकिन अब सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है की बहू का ससुराल के संपत्ति में कितना अधिकार होता है। उच्च न्यायालय ने बहू के अधिकार पर एक अहम टिप्पणी की है जिसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।
कर्नाटक में एक अजीब सा केस सामने आया है। अदालत में वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के तहत यह फैसला सुनाया है की बुजुर्ग लोगों की देखभाल करना और उन्हें घर में अच्छे से रखना आवश्यक है।
लेकिन इसी वरिष्ठ नागरिक कानून का हवाला लेकर कुछ लोग Daughter in Law को घर से बाहर निकल रहे है। हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया की बहू को घर से अलग होना होगा। तभी देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए नए कानून को लागू कर दिया है। अब हर बहू को यह जानना जरूरी है कि ससुराल के किस तरह की संपत्ति पर उसका कितना अधिकार हो सकता है।
Daughter in Law Right – Overview
Name of Post | Daughter-in-Law Right |
Case Name | Karnataka High Court Case (2019) |
This post is for | Everyone should know the new rule |
Benefits | Right of Daughter-in-Law in Property |
Year | 2023 |
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Daughter in Law Right
उच्च न्यायालय ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा करने का कानून 2005 में पारित हुआ जिसका उद्देश्य Daughter in Law को ससुराल के घर में सुरक्षित आवास मोहिया करवाना है। वहीं वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के तहत घर के बुजुर्ग नागरिकों को सही तरीके से सुरक्षित घर में रखना और बेसहारा होने से बचाना है।
ऐसा एक केस कर्नाटक में दायर किया गया जिसमें सास ससुर ने वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के प्रावधान के तहत अपने पुत्रवधू को बेंगलुरु के घर से बाहर निकालने की याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाया की बहू को उस घर से बाहर जाना होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा कानून 2005 के तहत बताया कि महिला को ससुराल के घर में सुरक्षित आवास देना जरूरी है।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया की बहू का ससुराल की संपत्ति पर कितना अधिकार होगा। उस अधिकार के तहत जितना बहू का हक है वह उतना ले सकती है।
ससुराल की संपत्ति पर बहू कितना अधिकार जमा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि बहू सास ससुर के साथ एक घर में सुरक्षित रह सकती है। भले ही उसे घर पर वह अपना मालिकाना हक नहीं दिखा सकती है, लेकिन उसे उस घर से नहीं निकाला जा सकता है। सरल शब्दों में सास ससुर को बहू के साथ ही उस घर में रहना होगा। वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत Daughter in Law अपने सास ससुर को घर से बाहर नहीं निकल सकती है। दूसरी तरफ महिला रक्षा कानून के तहत सास ससुर बहू को घर से बाहर नहीं निकाल सकते हैं।
सास ससुर की बनाई संपत्ति पर बहू का कितना अधिकार होगा
अगर सास ससुर और बहू एक साझा घर में रहते है और उस घर को सास ससुर के द्वारा बनाया गया है तो इस पर Daughter in Law का कोई अधिकार नहीं होगा। बहु केवल अपने पति पर और अपने पति के संपत्ति पर अधिकार जाता सकती है। वह ससुराल के किसी भी अन्य व्यक्ति के संपत्ति पर अपना कोई अधिकार नहीं रख सकती है।
आपको यह भी बता दे कि पति के पैतृक संपत्ति पर अधिकार पाने का दो तरीका है। अगर लड़के का पिता अपनी संपत्ति का अधिकार अपने बेटे को देता है और पति अपने इस संपत्ति का अधिकार पत्नी को ट्रांसफर कर देता है। तब पत्नी ससुराल के इस संपत्ति पर अपना कोई अधिकार दिखा सकती है।
इसके अलावा अगर किसी परिस्थिति में पति का निधन हो जाता है, तब संपत्ति पर अपना अधिकार दिखा सकती है। इसके अलावा पिता की संपत्ति पर भी बेटी का पूरा अधिकार होता है। आपको यह मालूम होना चाहिए कि जब पिता की संपत्ति बेटे या बेटी के पास आती है तो इसे पैतृक संपत्ति कहते है। दूसरी तरफ जब बंटवारे में कोई संपत्ति मिलती है तो उसे स्वयं अर्जित संपत्ति कहते हैं।
निष्कर्ष
इस लेख में Daughter in Law Right के बारे में जानकारी दी गई है जिसे पढ़कर आप आसानी से समझ सकते है की बहू का संपत्ति में कितना अधिकार होता है और किस तरह वह अपने अधिकार को प्राप्त कर सकती है। अगर साझा की गई जानकारी के आधार पर आप संपत्ति के बंटवारे को अच्छे से समझ पाए हैं तो इसे अन्य लोगों के साथ भी साझा करें।